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Thursday, January 22, 2009

हेडन ने कहा गुडबाय क्रिकेट !


महज सात साल की ग्रेस को शायद अभी भी अपने पापा के काबिलियत पर पूरा भरोसा था, तभी तो यह पूछे जाने पर (हेडन के द्वारा) बेटी लगता है, अब मेरे संन्‍यास लेने का वक्‍त आ गया है। मै अब अपना वक्‍त आप लोगों के साथ गुजारना चाहता हूं। तब ग्रेस का जवाब था, अपने बिल्‍कुल ठीक सोचा है। लेकिन मैं चाहती हूं कि आप अगले क्रिसमस तक खेलते रहें।

हेडन बेशक ग्रेस की इच्‍छा को पूरा कर सकते थे, लेकिन उन्‍होंने ऐसा नहीं किया। शायद उनकी चंद असफलताओं का बोझ इस नन्‍हीं इच्‍छा पर भारी पड़ गया था।

29 अक्‍टूबर 1971 को किंगरॉय,क्‍वींसलैंड में जन्‍में खब्‍बू बल्‍लेबाज मैथ्‍यू हेडन ने अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट में वो हर मुकाम हासिल किया जो हर नये क्रिकेटर का सपना होता है। चाहे टेस्‍ट हो या वनडे हेडन ने बस अपना खेल खेला और रिकार्ड दर रिकार्ड बनते चले गए।

बतौर ओपनर हेडन ने ऑस्‍ट्रेलिया के लिए बड़ी से बड़ी पारियां खेली। ऑस्‍ट्रेलिया को दो बार विश्‍व चैंपियन बनाने में 2003 और 2007 हेडन का महत्‍वपूर्ण योगदान रहा। वनडे में एडम गिलक्रिस्‍ट के साथ तो उनकी जोड़ी वर्ल्‍ड की सबसे तेज तर्रार जोड़ी मानी जाती थी तो, टेस्‍ट में जस्टिन लेंगर के साथ भरोसेमंद।

हेडन के पूरे करियर को आकड़ो में देखें तो वह जितना ज्‍यादा वनडे मैचों में सफल रहें उससे कहीं ज्‍याद टेस्‍ट मैचों में। 103 टेस्‍ट मैच खेल चुके हेडन 184 पारियों में 8625 रन बनाये। टेस्‍ट मैचों में उनका सर्वाधिक स्‍कोर 380 रनों का रहा जो, उन्‍होंने जिंबाब्‍वे के खिलाफ वाका स्‍टेडियम में लगाया। वहीं 161 वनडे मैचों में 6133 रन बनाने में सफल रहे। और इसमें उनका उच्‍चतम स्‍कोर रहा नाट ऑउट 181 रन। टेस्‍ट मैचों में 50 से ज्‍यादा का औसत और वनडे मैचों में 78 से ज्‍यादा का स्‍ट्राइक रेट हेडन की अक्रामक शैली से रूबरू कराता है।

क्रिकेट में उनके अमूल्‍य योगदान और बेहतर खेल के चलते उन्‍हें तरह तरह के अवार्ड से भी नवाजा गया। 2002 में एलन बॉर्डर मेडल,ऑस्‍ट्रेलियन प्‍लेयर ऑफ द ईयर (सर्वश्रेष्‍ठ टेस्‍ट क्रिकेटर) 2003 में विस्‍डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर, 2007 में आईसीसी वनडे प्‍लेयर ऑफ द ईयर और 2008 में ऑस्‍ट्रेलियन वनडे प्‍लेयर ऑफ द ईयर। ये तमाम अवार्ड उनके सफल क्रिकेट करियर की कहानी बयां करता है।

लेकिन ये तमाम सफलता कुछ चंद असफलताओं ने हेडन को संन्‍यास लेने पर बाध्‍य कर दिया। यहां तक कि उन्‍होंने अपनी प्‍यारी बेटी की इच्‍छा का भी दमन करने में कोई गुरेज नहीं की। पहले उनका भारत में पूरी तरह फ्लाप होना उसके बाद अपने ही घर में अफ्रीका के खिलाफ न चलना और इन दोनों जगह ऑस्‍ट्रेलियाई टीम की हार को हेडन के असफलता से जोड़ कर देखना जैसे बड़े कारणों के चलते उन्‍हें संन्‍यास लेना ही पड़ा।

वैसे हेडन अपने अंतरराष्‍ट्रीय करियर को इंग्‍लैंड के खिलाफ होने वाले प्रतिष्ठित एशेज सीरीज तक जारी रखना चाहते थे। लेकिन दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी-ट्वेंटी और वनडे सीरीज से बाहर कर दिए जाने के बाद उन्‍होंने क्रिकेट को अलविदा कहना ही बेहतर समझा। एक दशक तक सलामी बल्‍लेबाजी की रीढ़ रहे हेडन को विषम परिस्थितियों से अपनी टीम को उबारने के लिए हमेशा याद किया जायेगा।