जी हां श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने बागी इंडियन क्रिकेट लीग आईसीएल से जुड़े अपने क्रिकेटरों को घरेलू सीरीज में खेलने की अनुमति दे कर यह संदेश दे दिया है कि वह आईसीएल को अछूत या बागी नहीं मानता। श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड का यह साहासिक फैसला निश्चित तौर पर अन्य क्रिकेट बोर्डो को भी सोचने पर मजबूर करेगा।
मुकेश तिवारी
ऐसा लग रहा था कि एस्सेल ग्रुप का ट्वेंटी-20 लीग आईसीएल सफलता के नए आयाम रचेगा और क्रिकेट के सांस थमा देने वाले रोमांच से क्रिकेटप्रेमियों को रुबरु कराएगा। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। लेकिन, बीसीसीआई की बेरूखी से आईसीएल को वैसा माइलेज नहीं मिल पाया, जिसकी उम्मीद थी। बीसीसीआई ने अपने किसी भी टूर्नामेंट या मैच में आईसीएल से जुड़े खिलाडि़यों के खेलने पर पाबंदी लगा दी, जो आज तक कायम है।
बीसीसीआई के कटुतापूर्ण रवैये की वजह से आईसीएल को खासा नुकसान झेलना पड़ा। आईसीएल उस नुकसान से उबरने की जी-जान से कोशिश कर रहा है। हालांकि, आईसीएल की शुरुआत आईपीएल से पहले हो गई थी और क्रिकेट के लिहाज से आईसीएल का स्तर आईपीएल से कमतर नहीं था। लेकिन, गलैमर और मार्केटिंग में वह पिछड़ गया क्योंकि उसके पास सचिन, धोनी, सहवाग, जयसूर्या, युवराज, गिलक्रिस्ट, वार्न, गांगुली, द्रविड़ सायमंड्स जैसे बड़े खिलाड़ी और अंबानी, विजय माल्या, शाहरुख खान, प्रीटि जिंटा जैसे उद्योगपति और स्टार नहीं थे। इस वजह से इसकी चमक फीकी पड़ गई। यहां तक की इससे जुड़े खिलाडि़यों को बीसीसीआई ने बागी तक करार दे दिया। इतना ही नहीं, अपने प्रभाव के दम पर उसने दूसरे देशों के बोर्डों को भी आईसीएल से जुड़े क्रिकेटरों पर कार्रवाई करने को मजबूर कर दिया।
बीसीसीआई के कटुतापूर्ण रवैये की वजह से आईसीएल को खासा नुकसान झेलना पड़ा। आईसीएल उस नुकसान से उबरने की जी-जान से कोशिश कर रहा है। हालांकि, आईसीएल की शुरुआत आईपीएल से पहले हो गई थी और क्रिकेट के लिहाज से आईसीएल का स्तर आईपीएल से कमतर नहीं था। लेकिन, गलैमर और मार्केटिंग में वह पिछड़ गया क्योंकि उसके पास सचिन, धोनी, सहवाग, जयसूर्या, युवराज, गिलक्रिस्ट, वार्न, गांगुली, द्रविड़ सायमंड्स जैसे बड़े खिलाड़ी और अंबानी, विजय माल्या, शाहरुख खान, प्रीटि जिंटा जैसे उद्योगपति और स्टार नहीं थे। इस वजह से इसकी चमक फीकी पड़ गई। यहां तक की इससे जुड़े खिलाडि़यों को बीसीसीआई ने बागी तक करार दे दिया। इतना ही नहीं, अपने प्रभाव के दम पर उसने दूसरे देशों के बोर्डों को भी आईसीएल से जुड़े क्रिकेटरों पर कार्रवाई करने को मजबूर कर दिया।
खैर, श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष अर्जुन रणतुंगा ने साहस भरा कदम उठाते हुए आईसीएल से जुड़े अपने देश के खिलाडि़यों को घरेलू सीरीजों में खेलने की अनुमति दे दी है। इन खिलाडि़यों में श्रीलंका के पूर्व कप्तान मर्वन अटापट्टू ऑलराउंडर रसेल अर्नोल्ड और लेग स्पिनर उपुल चंदना जैसे खिलाड़ी शामिल हैं। ये खिलाड़ी आईसीएल की विभिन्न टीमों से जुड़े हैं। श्रीलंका के कप्तान रहे बेहतरीन टेस्ट प्लेयर 37 वर्षीय मर्वन अटापट्टू ने तो श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड के इस फैसले को साहासिक फैसला करार देते हुए कहा है कि अन्य क्रिकेट बोर्डो को भी इस बात पर विचार-विमर्श कर सकारात्मक सोच अपनानी चाहिए। इससे क्रिकेट का भला होगा।
दूसरी तरफ आईसीएल ने भी इसे क्रिकेट की जीत बताया और कहा कि उसे अब आईसीसी से भी सकारात्मक जवाब की उम्मीद है। वहीं आईसीएल कार्यकारी बोर्ड के सदस्य किरण मोरे ने इसे आईसीएल ही नहीं, बल्कि क्रिकेट के लिए एक अहम दिन करार दिया। उनका मानना है कि हम सब भी क्रिकेट ही खेल रहे हैं, कोई गलत काम नहीं कर रहे हैं। मोरे का यह मानना भी गलत नहीं है कि पहले खिलाड़ी काउंटी में खेलने के लिए जाते थे, अब वे आईसीएल या आईपीएल का रूख कर रहे हैं तो इसमें बुरा क्या है।
श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने आईसीएल को जो खुशी दी है, वह कब तक कायम रहती है, यह आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन, श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने अपने इस फैसले के जरिए बीसीसीआई को साफ तौर पर बता दिया है कि आईसीएल से जुड़े क्रिकेटरों को वह क्रिकेटर ही मानता है, ‘अछूत’ नहीं। बीसीसीआई को श्रीलंका बोर्ड के इस फैसले को सकारात्मक रूप में लेते हुए अपने रवैये पर विचार करना चाहिए। इससे क्रिकेट का भला ही होगा।
दूसरी तरफ आईसीएल ने भी इसे क्रिकेट की जीत बताया और कहा कि उसे अब आईसीसी से भी सकारात्मक जवाब की उम्मीद है। वहीं आईसीएल कार्यकारी बोर्ड के सदस्य किरण मोरे ने इसे आईसीएल ही नहीं, बल्कि क्रिकेट के लिए एक अहम दिन करार दिया। उनका मानना है कि हम सब भी क्रिकेट ही खेल रहे हैं, कोई गलत काम नहीं कर रहे हैं। मोरे का यह मानना भी गलत नहीं है कि पहले खिलाड़ी काउंटी में खेलने के लिए जाते थे, अब वे आईसीएल या आईपीएल का रूख कर रहे हैं तो इसमें बुरा क्या है।
श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने आईसीएल को जो खुशी दी है, वह कब तक कायम रहती है, यह आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन, श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने अपने इस फैसले के जरिए बीसीसीआई को साफ तौर पर बता दिया है कि आईसीएल से जुड़े क्रिकेटरों को वह क्रिकेटर ही मानता है, ‘अछूत’ नहीं। बीसीसीआई को श्रीलंका बोर्ड के इस फैसले को सकारात्मक रूप में लेते हुए अपने रवैये पर विचार करना चाहिए। इससे क्रिकेट का भला ही होगा।